50 घरेलु नुस्खों अस्पताल जाने से बचने की संजीवनी है ।।
घरेलु नुस्खे हमारे घर के ही साधारण से छोटे-छोटे प्रयोग होते हैं, जिससे स्वास्थ के प्रति जागरूक रहकर छोटे छोटे प्रयोग कर बड़े बड़े रोगों से बचाव किया जा सकता है। इन्हें घर पर ही आजमाएं और लाभ लें साथ ही अपने परिवार और दोस्तों से साझा करें।
(1.) अजवायन (Ajwain) :-
सुबह उठकर प्रात:काल में खाली पेट सप्ताह में एक बार एक छोटा चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। अजवायन को चबाने की आवश्यकता नहीं है सीधा निगल सकते हैं।
यह उपाय नियमित करने से सर्दी, खाँसी, जुकाम, पेट दर्द, कब्ज, कमर-दर्द, बदन-दर्द और घुटनों के दर्द से आपको दूर रखेगा। घर में 10 साल से नीचे के बच्चे हैं तो आधा चम्मच, करीब 2 ग्राम अजवाइन और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच, 5 ग्राम अजवाइन लेना चाहिए।
(2.) मौसमी खाँसी (सेंधा नमक) :-
मौसम के बदलाव के साथ मौसमी खांसी हमें अक्सर घेर लेती है इससे बचाव के लिए सेंधा नमक की लगभग 5 ग्राम डली (टुकड़ा) को चिमटे से पकड़कर गैस में या तवे में अच्छी तरह गर्म करें।
सेंधा नमक जब लाल होने लगे, तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबो कर बाहर निकाल लें और इस नमकीन उबले पानी को एक ही बार में पी लें।
नमकीन पानी को सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से मौसमी खाँसी, विशेषकर बलगमी वाली खाँसी से आराम मिलेगा। सेंधा नमक की डली को सुखाकर रख सकते हैं। एक ही डली का बार बार प्रयोग भी किया जा सकता है।
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(3) सौंफ (Sounf) और मिश्री (Misri) :-
भोजन के पश्चात सौंफ और मिश्री खाने का चलन हमेशा से रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है गले की सफाई के साथ पेेट का पाचन तंत्र मजबूत करना माना जाता है।
प्रतिदिन दोनों समय भोजन के बाद आधा चम्मच सौंफ और मिश्री मिलाकर चबाने से मुंह की अनेक प्रकार की बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है।
सौंफ और मिश्री भोजन के बाद चबाकर खाने से बैठी हुई आवाज़/गला, धीमी आवाज खुल जाती है, गले की खराश ठीक होती है और आवाज मधुर एवं शुद्ध हो जाती है।
(4) मुलेठी (Mulethi) :-
आपका गला बैठा हुआ महसूस हो रहा है तो इसके इलाज में मुलेठी बहुत ही उपयोगी है। थोड़ा से मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
या
रात्रि में सोने से पहले लगभग एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुंह में रख कर कुछ देर चबाते रहें और मुँह में रख कर ही सो सकते हैं। इससे सुबह तक गला साफ हो जाता है। गले के दर्द और सूजन में भी आराम मिलता है।
(5) अदरक (Ginger) और गुड़ (Gur) (Jaggery) (गले में खराश या सूखी खाँसी) :-
बदलते मौसम में गले की खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसे हुए अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाने से फायदा होता है। आराम मिलता है।
(6) पेट में कीड़ों (Stomach Warms) :-
पेट में कीड़े होने पर बच्चों के लिये आधा ग्राम अजवायन के चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म पानी में देने से बच्चों के पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
बड़े व्यक्ति को हो रही समस्या में चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी के साथ मिश्रण लेना चाहिये।
(7) भोजन में अरुचि :-
अक्सर देखा गया है कि लोगों की दूषित जीवनशैली के कारण भोजन में अरुचि हो जाती है। व्यक्ति को भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लेना चाहिए।
इसे 5-6 ग्राम मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें असर दिखाई देता है।
(8) जोड़ों के दर्द (Joint Pain) :-
जोड़ों के दर्द में बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ।
नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे लें। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ नहीं लें। दो तीन माह तक लेते रहने से आराम मिलता है।
(9) बदन के दर्द में कपूर (Kapoor) और सरसों का तेल :-
10 ग्राम कपूर, 250 ग्राम सरसों का तेल, दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ढक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। सूरज की प्राकृतिक धूप में जरूर रखें।
जब दोनों औषधि मिलकर एक हो जाएं। तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द, कमर का दर्द, बदन दर्द और माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
(10) पेट में वायु-गैस (Gas) :-
पेट में वायु बनने की अवस्था में सुबह भोजन के बाद 100 ग्राम दही में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लेना चाहिए।
धन्यवाद।।
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