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दांतों के रोग उपचार | पायरिया को जड़ से मिटाने का उपाय | Toothache Home Remedies

दांतों के रोग उपचार | पायरिया को जड़ से मिटाने का उपाय | Toothache Home Remedies आज के समय में घर पर ही मौजूद हैं।

दातों का काला पड़ना अर्थात कैविटी हो जाना हो या दातों में ठंडे और गर्म या खट्टा लगने से होने वाली सनसनाहट महसूस होती है अथवा मसूड़ों में सूजन रहती है। आपके मसूड़े दर्द करते हैं अथवा दांत दर्द करते हैं। 

कभी-कभी अधिक मीठा या अन्य कारणो से दांतों में कीड़े भी पड़ जाते हैं। ऐसी ही कई समस्याएं हैं जिनसे समय-समय पर हमें परेशानी होती है।

उपरोक्त समस्त परेशानी के निवारण हेतु कुछ आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे हैं। जिनका प्रयोग कर हम दांतों में होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं और दांत एवं मसूड़ों संबंधी बीमारियों का उपचार कर सकते हैं।

(1.) सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल - सेंधा नमक, मैदे की भांति पीस लें। कोशिश करें सेंधा नमक उच्च श्रेणी का शुद्ध हो। इसमें थोड़ी सी पिसी हल्दी मिला लें। अब सरसों के तेल की कुछ बूंदें डालकर पेस्ट जैसा बना लें। इस पेस्ट को हथेली पर रखकर, उंगली से मसूड़ों तथा दांतों पर हल्के हल्के मालिश जैसा मंजन करें।  

पश्चात इसके हथेली में बचा पेस्ट दांतोंमसूड़ों पर लगा दें। थोड़ी देर में गुनगुने पानी से कुल्ला करते हुए मुंह धो लेंं।

यह विधि से कुछ दिन लगातार दांत एवं मसूड़ों को साफ करते रहें। कभी-कभी हल्का सा खून निकले, तो घबराएं नहीं। इस प्रकार दांत साफ करते रहने से दांतों का ठंडा, गर्म और खट्टा होने की समस्या समाप्त हो जाएगी। 

दांतों में जो कैविटी अर्थात काली परत जमींं होती है, वह साफ हो जाती है। दांत साफ और मजबूत हो जाते हैं। दांतों में कीड़े भी नहीं रहते। मसूड़ों की सूजन व दर्द कम हो जाता है। 

इस पेस्ट के प्रयोग से ना दांत हिलते हैं और ना ही मसूड़ों में सूजन होती है तथा पायरिया नहीं होता है। दातों की सनसनाहट भी खत्म हो जाती है।

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(2.) हमारे भारत देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में नीम के वृक्ष की दातोंन से दातों का मंजन करने की प्रथा बहुत प्रचलित है। यह हमारी प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा है। जो दांतों और मसूड़ों की रक्षा करती है। यह सत्य है।

नीम एक एंटीबैक्टीरियल गुणों वाला वृक्ष है। जिसके कारण दांतों में कीड़े नहीं पड़ते तथा नीम की कोमल दांतोंन से, दांत को ब्रश जैसा घिसने से दांतों में कैविटी नहीं जमती है एवं मसूड़ों में भी दर्द आदि नहीं होता है। दांत स्वस्थ व साफ होते हैं।
 
(3.) छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण क्षेत्र में एक मिसवाक नामक वृक्ष पाया जाता है। यहां के ग्रामीण मिसवाक वृक्ष की दातुन का प्रयोग दांत साफ करने के लिए करते हैं। मिसवाक वृक्ष की दातुन करने से दातों में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है। 

दांत में कैविटी नहीं जमती है, दातों में चमक रहती है, मसूड़ों में सूजन नहीं आती है, तथा पायरिया आदि की समस्याएं नहीं होती हैं।

विभिन्न आयुर्वेदिक कंपनियां, मिसवाक वृक्ष की इस खूबी के कारण इसका मिसवाक टूथपेस्ट का भी निर्माण करने लगी हैं। विश्व के अन्य क्षेत्र जैसे अरब देशों में भी इसका प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया जाने लगा है, ऐसा उल्लेख भी मिलता है।

(4.) दांत संबंधी प्रायः सभी बीमारियों के लिए जैसे दांत की सड़न, दांत का हिलना, कैविटी  जमना, मसूड़ों की सूजन आदि के लिए जाम फल का वृक्ष अत्यंत उपयोगी है। 

जामफल के वृक्ष की पत्तियों का नित्य प्रति उपयोग, दातों की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए अत्यंत लाभकारी है। जाम की चार पांच पत्तियां, प्रातः काल प्रतिदिन मुंह में लेकर चबाया जाए। जिससे मुंह में एक लुगदी पेस्ट बन जाती है। थोड़ी देर तक मुंह में घुमाते रहे। इसके पश्चात उसे थूक देंं और पानी से कुल्ला कर मुंह को धो लें। 

ऐसा प्रतिदिन एक या दो बार, लगभग चार-पांच माह तक करने से दांत और मसूड़ों मजबूत तो होते ही है। साथ ही पायरिया जैसे रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है।

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