प्रतिदिन शरीर की नियमित क्रियाओं में पिशाब का आना भी एक नित्य क्रम है। यह बहुत जरूरी है कि समय समय पर चाहे भोजन/पानी कम या ज्यादा सेवन किया हो पिशाब नियमित होना चाहिए।
पिशाब का नित्य प्रतिदिन नियमित न होना भी एक समस्या है और प्रतिदिन जरूरत से ज्यादा पिशाब आना भी एक गंभीर समस्या का आमंत्रण समझा जा सकता है।
अधिकतर पिशाब का बार बार आना उम्रदराज लोगों में देखा गया है फिर चाहे वो स्त्री हो या
पुरूष। लेकिन यह समस्या किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकती है।
कभी-कभी यह भी देखा गया है कि पिशाब बार बार आती है और रूक-रूक कर थोड़ी-थोड़ी देर में कम-ज्यादा आती है। अधिकतर लोग इन बातों को नजरंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा करना संभवतः किसी न किसी रोग को न्योता देना होता है।
हमेशा ध्यान रखें कि मूत्ररोग से हमेशा बचकर रहना चाहिए और नियमित पिशाब होना चाहिए। गंभीर परेशानी होने पर तुरंत अपने डाॅक्टर से सलाह लेकर शीध्र इलाज शुरू कर देना चाहिए। शुरूआती दिनों में बार बार आती पिशाब का इलाज घर पर ही किया जा सकता है।
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✓ घुटना - कमर दर्द का उपचार१.) काली तिल्ली तथा मिश्री समान मात्रा में लेकर दो दो चम्मच सुबह शाम लेने से बार-बार आने वाली पेशाब में कंट्रोल हो जाता है तथा 3- 4 घंटे के अंतराल से पेशाब आती है।
२.) अधिक मात्रा में तथा बार-बार पेशाब आती है तो अजवाइन और तिल समभाग मिलाकर दिन में 1 से 2 बार खाएं। इससे पेशाब आने का समय अवधि बढ़ जाती है।
३.) जामुन की गुठली और बहेड़े का छिलका को समान मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को 3 से 4 ग्राम प्रतिदिन खाएं। 8 से 10 दिन तक खाने पर बार-बार पेशाब आने का अंतराल बढ़ जाता है।
इस तरह के उपाय करके न केवल हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं बल्कि उम्र के साथ आने वाली समस्याओं से निजात पाने का भी प्रयास करते हैं। अन्न का ग्रहण करना और पाचनतंत्र स्वस्थ रखते हुए मल-मूत्र त्याग करना अतिआवश्यक माना जाता है। ऐसे उपाय करके स्वस्थ हरने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
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