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भिंडी के फायदे | Health Benefit of Okra/Lady Finger

भिंडी (Okra/Lady Finger) एकवर्ष जीवी शाकवर्ग पौधा होता है जो कि समस्त भारतवर्ष में पैदा होता है। समस्त भारत में पैदा होते हुए भी विभिन्न राज्यों की प्रांतीय भाषाओं में इसे विभिन्न नामों से जाना व पुकारा जाता है।

गुजराती में इसे भिंडा, मराठी में भेंडा, बांग्ला में धेनूरस के नाम से जानी जाती है। वहीं संस्कृत में यह कर पर्णफल, भेंडा, भीडा तथा हिंदी में भिंडी या भेंडा के नाम से जानी जाती है। अंग्रेजी में इसे लेडी फिंगर(Lady Finger) के नाम से जाना जाता है। 

प्राय: भारतीय घरों में भिंडी की सब्जी बनाकर खाने का चलन है जिससे भोजन के माध्यम से भिंडी का लाभ मिल जाता है। वैसे ताजी मुलायम दो से तीन कच्ची भिंडी का सेवन भी स्वास्थ वर्धक होता है।

आयुर्वेद के मतानुसार भिंडी की ताजी फल्ली में विपुल मात्रा में लुआब, श्वेतसार तथा अधिकाधिक श्लेष्म निःसारक द्रव्य होता है। यह अपने आप में पौष्टिक, कामोद्धीपक, स्नेहन तथा मूत्रल होती है।
 
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भिंडी के फायदे गर्म प्रकृति के लोगों के लिए, पेचिस, आंत्रव्रण, सुजाक व खांसी आदि रोगों में लाभदायक होते हैं। औषधीय उपयोग की रहती है कोमल भिंडी जिसमें बीज न पड़े हो। ऐसी कोमल भिंडी का चूर्ण बनाकर खाने से शुक्र लारल्य व प्रमेह में फायदा होता है। 

भिंडी का काढ़ा मिश्री के साथ देने से मूत्रकृच्छ, मूत्रावरोध तथा पथरी दूर होती है। मूत्र और वीर्य संबंधी अंगों की जलन मिटाने के लिए भिंडी और उसके बीजों का शरबत बहुत उपकारी सिद्ध होता है। 

प्रमेह - प्रमेह रोग होने पर पेशाब अधिक मात्रा में होती है। पेशाब में गन्दला होना इस रोग का प्रमुख लक्षण होता है। पेशाब के साथ या पेशाब त्याग करने के पूर्व व पश्चात् में वीर्यस्राव होना ही प्रमेह रोग का कारण है।

प्रमेह रोग से निजात पाने के लिए भिंडी के पौधों की सूखी जड़ का चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाने से लाभ मिलता है और कच्ची भिंडी के चूर्ण में मिश्री मिलाकर दूध के साथ फांकने से भी लाभ होता है। 

पुरुषार्थ वृद्धि - भिंडी का नियमित सेवन करना लाभकारी होता है। भोजन के माध्यम से भी इसका सेवन किया जा सकता है। भिंडी की जड़ का पाक बनाकर खाने से पुरुषार्थ वृद्धि होती है। बलवृद्धि और उर्जा का उचित संतुलन पुरूषार्थ को सिद्ध करता है व वैवाहिक जीवन में खुशियों का संचालन करने में सहायक होता है।

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