बेल फल के फायदे और नुकसान के बारे में हम इस लेख में जानेंगे की यह फल कितना लाभकारी है या नुकसान दायक है।
बेल का पका हुआ फल ही ज्यादा उपयोगी होता है। बेल गर्मी शांत करता है और ताजगी देता है।
डायरिया और पेचिश - सामान्यतः बेल फल के रस या गूदा अथवा बेल का मुरब्बा को बैशाख माह में सेवन करने का प्रचलन है। इस माह में भीषण गर्मी रहती है। डायरिया और पेचिश में बेल रस या बेल का मुरब्बा से शीघ्रता लाभ मिलता है। बेल शीतलता भी प्रदान करता है।
गला दर्द - पके बेल का गूदा दिन में 2-3 बार खाएं। स्वास्थ वर्धक होने के साथ-साथ गला दर्द में आराम पहुंचाता है।
खूनी दस्त - सूखे बेल के गूदे का चूर्ण बना कर उसमें गुड़ मिलाकर खाने से खूनी दस्त, पेचिस जाती रहती है। सात दिन तक रोजाना सुबह-शाम सेवन करें लाभ मिलेगा।
बहरापन - बेल के गूदे को गौ-मूत्र में पीसकर तिल के तेल में मिलाकर कुनकुना कर 2-2 बूंद सुबह-शाम कान में डालने से बहरापन दूर होकर धीरे-धीरे साफ सुनाई देने लगता है।
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मुंह में छाले - बेल के गूदे को पानी में उबालकर 3-4 बार कुल्ला करने से लाभ होगा।
प्यास की अधिकता - गर्मी में प्यास न बुझने पर 20 ग्राम बेल का गूदा 100 ग्राम पानी में इतना उबालें कि आधा रह जाएं, इसमें नमक मिलाकर पीने से फायदा होता है।
फोड़े-फुंसी - बेल की कोंपलों को पीसकर पुटली को थोड़ी गर्म बांधने से फोड़ा भीतर ही सूख जाएगा। साथ ही बेल के पत्तों का रस 25-25 ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार पीएं लाभ मिलेगा।
कांख की दुर्गंध - बेलगिरी और हरड़ को समभाग पीसकर पाउडर बना लें। रोज नहाने के बाद इसे बगलों में छिड़के। कुछ ही दिनों में पूरे बदन से खुशबू आने लगेगी।
मक्खी-मच्छर से छुटकारा - बेल के छिलकों को धूप में सुखाकर कमरे में उपले की आग पर रखें।
दिमागी थकान - एक पके बेल का गूदा निकालकर मिट्टी के बर्तन में डालकर उसमें पानी भर दें तथा कपड़े से ढंक दें। सुबह इसे छानकर व शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। थकान दूर होने लगेंगी।
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